30% DROP IN CRYPTO MARKET:एक महीने में ₹100 लाख करोड़ डूबे

30% DROP IN CRYPTO MARKET: मार्केट ₹261 लाख करोड़ पर; बिटकॉइन ₹1.10 करोड़ से ₹76 लाख पर आया

30% DROP IN CRYPTO MARKET: ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट में भारी गिरावट दर्ज की गई है। कॉइनमार्केटकैप के अनुसार, अक्टूबर में जहां क्रिप्टो मार्केट की वैल्यू 4.28 ट्रिलियन डॉलर थी, वहीं अब यह घटकर 2.95 ट्रिलियन डॉलर रह गई है।
भारतीय रुपए में देखें तो यह वैल्यू लगभग 379 लाख करोड़ से घटकर 261 लाख करोड़ रह गई है। यानी सिर्फ एक महीने में ₹100 लाख करोड़ की कमी, जो 30% से ज्यादा की गिरावट है।

बिटकॉइन 1.10 करोड़ से गिरकर 76 लाख पर

क्रिप्टो मार्केट की कुल वैल्यू में बिटकॉइन की हिस्सेदारी लगभग 58% है।
सबसे ज्यादा झटका बिटकॉइन को लगा है—

  • यह अपने अब तक के ऑल-टाइम हाई ₹1.10 करोड़ से
  • गिरकर ₹76 लाख पर पहुंच गया है।
  • यानी करीब 34 लाख रुपए की गिरावट।

बिटकॉइन ने 7 अक्टूबर को यह ऊंचाई छुई थी। सिर्फ एक महीने में यह 30% से अधिक गिर चुका है।

इथेरियम और सोलाना जैसी बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में भी भारी गिरावट आई—

  • Ethereum: ₹4.15 लाख → ₹2.48 लाख
  • Solana, XRP, BNB समेत लगभग सभी टॉप कॉइन लाल निशान में रहे।

30% DROP IN CRYPTO MARKET:इस गिरावट के मुख्य 2 कारण

1. मैक्रोइकॉनॉमिक अनिश्चितता और फेड पॉलिसी

30% DROP IN CRYPTO MARKET:फेडरल रिजर्व द्वारा रेट कट्स को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
अक्टूबर फेड मीटिंग के ट्रांसक्रिप्ट्स बताते हैं कि कमेटी रेट कट्स पर सहमत नहीं है।
इससे निवेशकों में डर पैदा हुआ और रिस्की एसेट्स जैसे क्रिप्टो की बड़े पैमाने पर बिकवाली हुई।

2. मास डीलीवरेजिंग और लिक्विडेशन्स

क्रिप्टो में बहुत सारे निवेशक लीवरेज यानी उधार लेकर ट्रेड करते हैं।
दाम थोड़ा गिरते ही उनकी होल्डिंग अपने आप बिक जाती है।
इसे लिक्विडेशन चेन रिएक्शन कहा जाता है, जो तेजी से मार्केट को नीचे धकेलता है।

उदाहरण से समझें लीवरेज ट्रेडिंग

अगर आपके पास ₹10,000 हैं और आप 10x लीवरेज लेते हैं,
तो आप ₹1,00,000 का बिटकॉइन खरीद सकते हैं।

  • कीमत बढ़ेगी → फायदा 1 लाख पर
  • कीमत गिरेगी → नुकसान भी 1 लाख पर

यही कारण है कि गिरावट के समय बाजार तेजी से क्रैश हो जाता है।

बिटकॉइन से जुड़े जरूरी सवाल-जवाब

सवाल 1: बिटकॉइन क्या है और कैसे काम करता है?

30% DROP IN CRYPTO MARKET:बिटकॉइन डिजिटल दुनिया का “सोना” है, जो किसी बैंक या सरकार के कंट्रोल में नहीं है।
यह एक डिजिटल कोड है जो आपके डिजिटल वॉलेट में रहता है और आप इसे दुनिया में कहीं भी भेज सकते हैं।

यह ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है—एक डिजिटल बहीखाता जहाँ हर लेनदेन सुरक्षित रूप से दर्ज होता है और इसे बदला नहीं जा सकता।

सवाल 2: ब्लॉकचेन कैसे काम करता है?

30% DROP IN CRYPTO MARKET:ब्लॉकचेन को लेनदेन के रिकॉर्ड वाले कई पन्नों की चेन समझें।
जब एक ब्लॉक भर जाता है, इसे लॉक कर अगले ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है।

हजारों कंप्यूटर (नोड्स) इस डेटा को वेरिफाई करते हैं, जिससे सिस्टम सुरक्षित और पारदर्शी बनता है।

सवाल 3: बिटकॉइन को डिजिटल सोना क्यों कहा जाता है?

क्योंकि इसकी कुल सप्लाई 21 मिलियन पर सीमित है।
जितनी चीजें दुर्लभ होती हैं, उनकी कीमत उतनी बढ़ती है—इसी वजह से बिटकॉइन को डिजिटल गोल्ड कहा जाता है।

सवाल 4: बिटकॉइन vs फिएट करेंसी

फिएट करेंसी = नोट जो सरकार जारी करती है (जैसे ₹500)। सरकार चाहे तो इसे अमान्य कर सकती है।
बिटकॉइन = सोने की तरह दुर्लभ, किसी सरकार का नियंत्रण नहीं, और विश्वभर में उपयोगी।

सवाल 5: क्या बिटकॉइन रिस्की है?

हाँ, कई कारणों से:

  • कीमत में भारी उतार-चढ़ाव
  • सरकारी नियमों की अनिश्चितता
  • डिजिटल वॉलेट की सुरक्षा
  • धोखाधड़ी और हैकिंग का खतरा
सवाल 6: बिटकॉइन के फायदे और नुकसान
फायदे
  • डीसेंट्रलाइज्ड और पारदर्शी
  • महंगाई से सुरक्षा
  • ग्लोबल और तेज लेनदेन
  • ब्लॉकचेन की सुरक्षा
नुकसान
  • कीमत में भारी उतार-चढ़ाव
  • सीमित स्वीकार्यता
  • अवैध गतिविधियों में उपयोग
  • माइनिंग में अत्यधिक ऊर्जा खपत
सवाल 7: बिटकॉइन का भविष्य क्या है?

30% DROP IN CRYPTO MARKET:अगर कंपनियां और सरकारें क्रिप्टो टेक्नोलॉजी को अपनाती हैं, तो इसका उपयोग और कीमत बढ़ सकती है।
लेकिन इसका भविष्य काफी हद तक नियमों, टेक्नोलॉजी और ग्लोबल मार्केट सेंटिमेंट पर निर्भर करेगा।

30% DROP IN CRYPTO MARKET:क्रिप्टो मार्केट की मौजूदा गिरावट निवेशकों के लिए एक चेतावनी है कि यह बाजार कितना अस्थिर है।
हालांकि, बिटकॉइन और ब्लॉकचेन की तकनीक अभी भी फ्यूचर को बदलने की क्षमता रखती है।
निवेश से पहले रिसर्च करना और जोखिम समझना हमेशा जरूरी है।

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